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सत् भगति और अंध भगति

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भगति की आवश्यकता क्यों ? मानुष जन्म पाय कर,जो नहीं रटे हरि नाम। जैसे कुंआ जल बिना,बनवाया क्या काम?   सतपुरुष कबीर साहेब की ये वाणी हमें सचेत करती है कि मनुष्य जन्म प्राप्त करके यदि हम भगति नहीं करते तो हमारे जन्म का कोई मतलब नहीं। जैसे आदरणीय गरीबदास साहेब जी भी अपनी वाणी में भगति का महत्व समझाते हुए लिखते हैं:- नर नारायण देही पाकर,जे कट्या न यम का फ़ंद रे। रत्न अमोली दर्शत नाहीं,धिक है वाकी जिन्द रे।।  नर नारायण अर्थात भगवान जैसा सुंदर शरीर पाकर भी यदि तेरा यम का फ़ंद नहीं कटा तो भाई तेरी जिंदगी भी धिक्कार है।धिक है वाकी जिन्द रे। वर्तमान में प्रचलित असंखो धर्मों, पन्थो, विचारधाराओं से हम कैसे निर्णय लें कि कौनसी भगति सत्  है और कौनसी पाखण्ड है?   वर्तमान में प्रचलित नाना प्रकार के धार्मिक समुदायों व उनके अनुयायियों के क्रिया कलापों को देखकर जन साधारण के लिए ये निर्णय लेना मुश्किल हो जाता है कि आखिर सत् भगति कौनसी है क्यों कि हर धर्म में हमें कुछ न कुछ ऐसी क्रियाएँ देखने को मिलती हैं को हमें गलत लगती हैं पाखण्ड लगती हैं। तो हमें ज्यादा विचलित होने